गुरुवार, 10 सितंबर 2020

नरेंद्र मोदी! अच्छे दिन कब आएँगे ...?


नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के जरिए लोकसभा २०१४ का चुनाव जीता, उसका कारण कांग्रेस की नाकामी रही है, ऐसा वर्णन एल के आडवानी, बीजेपी वरिष्ठ नेता ने किया था. कांग्रेस ने चुनाव में पराजित होने का मतलब यही था की उन्होंने १. डंकल प्रस्ताव को पारित किया, २. भारत की अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण हुआ. ३. निजीकरण को बढ़ावा मिला. देशी और विदेशी पूंजीवादी लोगोने भारत में व्यापार सुरु किया. अधिक मुनाफा करने के दृष्टी से वस्तुओ के दाम बढ़ाना सुरु किया, बढते महंगाई पर रोख लगाने के लिए कदम उठाया जाए तो पूंजीपति लोग भारत से मुह मोड लेंगे फिर और भारत की माली हालत और खराब होगी इसी डर से राजनेता लोग पूंजीवादियों शोषण के खिलाफ कदम उठाने के बजाए चुप रहना ही पसंद कर रहे थे. महंगाई पर लगाम लगाने का मतलब यह होता है की पूंजीपति लोगों मुनाफा करने से रोखना. अगर पूंजीपति नाराज हुए तो वे अपने पेपर मिडिया के जरिए राजनेता की बदनामी करके सत्ता से वंचित करेंगे यह भी एक डर राजनेताओ में रहा है.

टीव्ही मिडिया, बढे उद्धोगी और बढ़ा जमींदार लोग एकसाथ होकर सत्ताधीश नेताओ को काबू में रख रहे है. बीजीपी ने लोकसभा चुनाव २०१४ में इन्ही वर्ग का साथ लेकर विजय हासिल की थी. उन्होंने किया खर्चा निकलने के लिए ३ साल लग जायेंगे, यानि के महंगाई ३ साल तक तो किसी भी हालत में कम नही होगी. तो ४ थे साल से महंगाई काबू में आएगी ऐसा भी नही कहा जा सकता. महंगाई हमेशा पूंजीपतियों के ही हातों में रही है और आगे भी रहेगी. सरकार वस्तुओं के दाम तय नही कर सकती, जिन्होंने वस्तुओं को तयार किया होता है वे ही उसके दाम तय कर सकते है. रेलवे सरकारी संपत्ति है तो उसके किराए के दाम सरकार ही तय कर सकती है, कोई किसान नही तय कर सकता. उसी ढंग से भारत सरकार पर हम विश्वास कैसे कर रहे है की वह महंगाई को काबू में लायेंगे? जो बात, चीज उनके हातो में नही, और न वे उनके मालक है तो उस वस्तुओं के दाम सरकार कैसे कम कर सकती है.

भारत के जनता ने बिना सोचे समझे बीजेपी पर भरोसा क्यों किया? उन्होंने वोट देने के पहले यह तो जानने की कोशिस करना चाहिए था की वह किस योजना के तहत सत्ता में आने पर महंगाई को कम करेंगे? मनमोहन सरकार ने कहाँ था की उनके पास जादू की छड़ी नही है जिससे वे उसे काबू में रख पाएंगे? तो बीजीपी ने कहा था की हमें वोट दो हम कर लेते है. अभी तक महंगाई को कम करने के लिए कोनसी योजना बनाई है? क्या वह योग्य ही है? कैसे? नरेन्द्र मोदी झुटा राजनेता है, उनकी पार्टी भी झूटी है, किये हुए वादे को पूरा नही कर पा रही है इसलिए नरेन्द्र मोदी मुहं दिखाने के लायक नही है, और न रहेगा. जो गलतिया, आर्थिक निति कांग्रेस ने तय की है उसका अमल करने से महंगाई कम होगी, लोगों को राहत मिलेगी यह सोच गलत है. जो बीजीपी भक्त है वे लोग कहते है की नरेन्द्र मोदी के पास क्या जादू की छड़ी है जो इतने जल्दी ही उसे काबू में कर लेगा? उन्हें मुझे पूछना है की अगर ऐसा नही किया जा सकता था तो यह बाते चुनाव के पहले क्यों नही रखी गयी थी? सामान्य गरीब जनता को गुमराह करके वोट हतियाना और उसके जरिए अपनी निजी संपत्ति बनाना, क्या इसे ही उचित राजनीती कहते है?

जबतक निजीकरण और खुली अर्थव्यवस्था भारत में रहेगी तबतक महंगाई कभी भी सरकार के वश में नही रहेगी. महंगाई कम करने के वादे हर राजनेताओ के झूटे साबित हो चुके है, और आगे भी सही साबित नही हो पाएंगे. नरेन्द्र मोदी की पढाई क्या है? क्या वे अर्थशास्त्र के छात्र रहे है? मुझे नही लगता की वे अर्थशास्त्र के छात्र भी रहे है. तो क्या वे प्रशासकीय अधिकारियो के बनाए योजना को लागु करेंगे? मैंने सुना है की उन्हें उत्तम, बुद्धिमान मुख्य सचिव की जरुरत है, तलाशी है. वह जबतक नही मिलता तबतक नरेन्द्र मोदी मनमोहनी रूप धारण करके रहेंगे. मेरा तो यह कहना है की कितना भी अच्छा प्रशासक चुना जाए वह भारत में बढते हुए महंगाई को ३ साल में तो हजारों सालो तक भी शासन किया तो उसे वश में नही कर पाएंगे. जनता ने झूटे राजनेताओ के वादों पर भरोसा करना छोड देना चाहिए, पहले उसकी गुणवत्ता देखना चाहिए, उनकी परीक्षा लेना चाहिए उसके बाद ही उसे चुनाव में उमीदवारी देना चाहिए. अनपढ़, गवार लोगो को देश के गरीबो के दुःख की चिकित्सा करने की जिम्मेवारी नही देनी चाहिए.

अगर नरेन्द्र मोदी को महंगाई हमेशा के लिए अपने हातो में रखनी है तो वे रख सखते है, तब के काबू भी रख सकते है, मगर वह छड़ी उन्हें पता है नही है और न भारतीय सनातनी विचारवंत लोगो को पता है, वे भी हतबल है की देश में बढते हुए महंगाई को कैसे रोक सकते है? अगर उनके पास ज्ञान होता तो उन्होंने कांग्रेस के मनमोहन को भी दिया होता. इसका मतलब सनातनी प्रशासकीय अधिकारी भी भारत की महंगाई को वश में करने के योजना को नही बना सकते यह बात अबतक तो सच ही साबित हो चुकी है. अगर महंगाई और २ साल तक ऐसे ही बढते रही तो देश में गरीब लोग रास्ते पर उतरेगी, सांसद लोगो को रास्तो पर चलना भी भारी महंगा पड़ेगा. नरेन्द्र मोदी सरकार के जगह राष्ट्रपति शाशन लग जाएगा. अगर इसे रोखना है, नरेन्द्र मोदी ने किये वादों को पूरा करना है तो एकमेव रास्ता उपलब्द है और वह रास्ता है, "राज्य समाजवाद" को सकती से लागु करना. वह है जादू की छड़ी.

राज्य समाजवाद पर संसद में एक दिन चर्चा करना और भारी मतों से उसे पारित करना, दूसरे दिन राज्य सभा में चर्चा करना और उसे भी उसी दिन पास करना और तीसरे दिन राष्ट्रपति के पास पहुंचा कर उसपर अनुमति हासिल करना. ३ दिन के अंदर यह काम हो गया तो चवथे दिन से महंगाई मोदी के वश में रहेगी. तभी ही वे पांच साल तक सत्ता में रहेंगे नही तो कदापि नही. अच्छे दिन लाना है तो यही उनके पास जादू की छड़ी है बस उसने घुमाना है और अच्छे दिन ४ दिन बाद ही आयेंगे. "इनकम चवन्नी और खर्चा रूपया" करना चाहा तो कैसे होगा नरेन्द्र मोदी? एक तो "अच्छे दिन लाने का किया हुआ वादा पूरा करो नही तो प्रधानमंत्री पद का त्यागपत्र दे दो. जनता ने अबतक राजनेताओ को बहुत झेला है, आगे भी झेलते ही रहेंगे ऐसी उम्मीद करना बहुत महंगा पड़ेगा, अच्छे दिन....? अच्छे दिन......? अच्छे दिन ......?

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