भारत में हिंदू धर्म के पुरोधा मोहन भागवत है, उनके दृष्टि में जो लोग ग़रीबों के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे है वे हिंदू धर्म के दुश्मन है। भारत १५ अगस्त १९४७ में आझद हुआ उन्होंने अपने लिए जनतंत्र को चुना, संविधान बनाया।
संविधान के चार पिलर शाशन, प्रशासन, न्याय पालिका और प्रेस / प्रसार माध्यम है, इन ४ पिलरो पर आर एस एस ने पकड़ बना ली है, सब कूच ब्राह्मण शाही पुनर्जीवित करने के दृष्टि से कार्य किए जा रहे है, जनतंत्र को ब्राह्मणो ने ग़ुलाम किया।
भारत में ब्राह्मण हुआ भ्रष्ट फिर भी ३ (क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ) वर्ण में श्रेष्ट है, यह जो हिंदू साहित्य में लिखा है उसकी प्रचिति नए भारत में दिखाई दे रही है। गुंडों को छोड़ कर सन्यासी को फाँसी दी जा रही है।
ब्राह्मणो ने भारत में बहुत अति करनी सुरु की है, सामान्य लोगों के लिए भारत देश में कोई जगह बाक़ी नही बची। संविधान के समर्थक भी बेवक़ूफ़ लोग है, वे कहते है की संविधान बाबा साहब ने बनाया है, उसने हम पर अन्याय भी किया तो हम उसे न्याय समजकर बरदास्त कर लेंगे।
मै कोर्ट पर विश्वास करूँगा। संविधान को बिना सोचे समझे उसका पालन करूँगा। ऐसी बिचारधारा अगर अंबेडकरी लोग कर बैठे है, तो यह बहुत चिंता करने की ज़रूरी है। हम बुद्धिजीवी है, तर्क करे, अगर संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है तो उसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने के लिए जन-आंदोलन करे।
आनंद तेलतुमब्ले इनके ऊपर जो गुनाह बताए गए है वे बे बुनियाद है, उसका पुरज़ोर विरोध करे। कल वे जेल जा रहे है फिर शहरी नक्सली के रूप में हम भी जा सकते है।