मंगलवार, 31 मार्च 2020

कोरोना विषाणु और भगवान का आशीष


हैलो, मेरे भारत देशप्रेमी बहनो और भाईयों, आपने हिंदूधर्म प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आर एस एस) द्वारा बनाए गए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को देश की गद्दी सोंपी उनका मुखिया प्रधान मंत्री बना, जिसका नाम नरेंद्र मोदी है। इनके कार्य काल में हिंदूधर्म को विशेष आश्रय मिला।

जो वन्दे-मातरम बोलेगा वह देश-भक्त, जो नही कहेगा वह देश-द्रोही ऐसा प्रचार आर एस एस के हिंदूधर्म (राष्ट्रीय?)अंध:भक्तों ने किया, एनआरसी-एनपीआर-सीएए को सिर्फ़ हिंदूधर्म को बढ़ावा देने के दृष्टि से क़ानून बनाया, ऐसी कोनसी अच्छाई है हिंदूधर्म में ? सिर्फ़ मनुस्मृति का ब्राह्मणी राज लाने के लिए यह सबकुछ कसरत चल रही है।

हिंदू धार्मिक कार्यों में पंतप्रधान उपस्थित रहे, हिंदू धर्म में गाय को पवित्र मानकर उसके लिए गो-शालाएँ बनाए गए। हिंदू गाय का माँस खानेवाले और उनका व्यवसाय करनेवालो पर जानलेवा हमले हुए। यह हमले हिंदूधर्म के ठेकेदारों ने करवाए, जिन्हें पुलिस मदत करते हुए नज़र आयी।

हिंदुसंत महर्षि पतंजलि द्वारा प्रस्तुत योगविद्या बाबा रामदेवने प्रचारित की है, उन्होंने योगासन द्वारा रोग भगाने का दावे किए, प्राणायाम द्वारा सभी रोगों का इलाज सम्भव है ऐसा कहा गया तब भी रोग नही गए तो उनके साथ आयुर्वेदिक औषधि को बढ़ावा दिया गया, हिंदूधर्म प्रचार के साथ ख़ूब मुनाफ़ा कमाया गया।

हिंदूधर्म में गाय को माता कहा गया है क्यूँकि वह बहुत फ़ायदेमंद है, उसे राष्ट्रीय पशु के रूप में पेश किया गया, सिर्फ़ देशी गाय पवित्र होती है, विदेशी नही इसलिए देशी गाय की पूजा का प्रचार-प्रसार ज़ोरों से चला, उनके गोबर और मूत्र की महिमा इतनी बतायी गयी की वह हर बीमारी को भगाने में सक्षम है, अब कोरोना को भगाने में क्यू नही काम आ रही है?

राममंदिर जन्मभूमि विवाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था, उसका फ़ैसला हिंदुओं के हितो में देनेवाले न्यायाधीश को सिंहासन पर बिठाया गया। मुस्लिम नाराज़ हुए। जो लोग हिंदुधर्म के ख़िलाफ़ बोलते रहे उन्हें देशद्रोही कहना सुरु हुआ, जिन्हें इस ढंग से ज़लील किया गया।

राममंदिर को बनाने के साथ-साथ बाबरी मज्जिद भी बनवाने के लिए मदत करने के लिए फ़ैसले होते गए। आशीर्वाद की बरसाद करनेवाले बुवाबाजों, संत-महंत फलने-फुलने लगे। बीजेपी में संतों को टिकिट देकर विजयी किया गया। जो संसद में जाकर अपने अ-वैज्ञानिक विचारों का प्रचार करते रहे।

क्या राम मंदिर को बनाने का कार्य विज्ञान को बड़ावा दे रहा है? काल्पनिक रामायण विचारों पर आधारित मूर्तियों की पूजा करना और उन मूर्तियों से आशीर्वाद की अपेक्षा करना बहुजन-हित-सुख कार्य है? राम की जन्मतिथि क्या है? उनकी मृतु तिथि क्या है? रामायण एक दंतकथा है जो वर्ण-जाती वाद का प्रचारक है।

कोरोना वाइरस का डर पूरे विश्व को है, वह तबायी का दूसरा नाम है, सभी-मंदिरों-मज्जिदो के पंडित-मुल्ला रो रहे है। कोरोना के बला से डर कर अपने-अपने घरों में बंद हो चुके है, राम सुट्टी पर है, परंतु डाक्टर, नर्स, कंपाउंडर, सफ़ाई कर्मचारी, फ़ार्मसी चालक, किराना व्यावसायिक, सेना-पुलिस और किसान काम पर लगे है।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हिंदूधर्म के राम से आशीष पाने के लिए पूजा-पाठ कर रहा है, हिंदूलोग अपने-अपने घरों में आरतियाँ कर रहे है, तथा मुस्लिम लोग भी मज्जिदो में नमाज़ पढ़ने में जा रहे है, उन्हें कहा जा रहा है की आप अपने-अपने भगवानों की पूजा-अर्चा अपने-अपने घरों में करो, क्यूँ पूजा करवा रहे हो?

ईश्वर को नींद से जगाने के लिए मंदिर की घंटाए बजायी जाती है, इसे किसी व्यक्ति के सम्मान के लिए नही बजायी जाती है, पर हर घर में घंटाए नही होती इसलिए थाली और थालियाँ बजवाई गयी, यह हिंदूधर्म प्रचार का कार्य है। बीजेपी अंध: भक्तों की पार्टी है जो सिर्फ़ हिंदू धर्म को ही राष्ट्रीय धर्म के रूप में उचित मानती है।

हिंदूधर्म के काल्पनिक ग्रंथ रामायण है, जो इतिहास के व्याख्या में नही आता, उसके आधारपर मूर्तियाँ बनाकर काल्पनिक रूप दिया जा रहा है, कहते है की उनके आशीर्वाद से कल्याण होता है, शेकडो सालों से उनकी पूजा-अर्चा हो रही थी तो भारत के राम मुस्लिमों के ग़ुलामी को क्यूँ बरदास्त करते रहे, अंग्रेजो के साथ क्यू नही लढ़े ?

सुना है की कोरोना वाइरस को भगाने के लिए भारत देश में २१ दिन का लाक-डावुन किया गया है, हिंदू लोगों की माँग को पूरी करने के लिए राष्ट्रीय प्रसारण दूर-दर्शन टीवी पर रामायण सुरु किया जाएगा। हिंदू जनता अगर कहेगी की गु-गोबर कोरोना के इलाज के लिए सक्षम है तो क्या नरेंद्र मोदी सरकार विज्ञान को बाजु में हटाकर गु-गोबर से इलाज कराएगी?

नरेंद्र मोदी एक अनपढ़ अंध:भक्ति भाव में लिप्त पंत-प्रधान है, उन्हें सिर्फ़ हिंदू देवी-देवता, पूजा-अर्चा पर विश्वास है, यह एक प्रकार की नशा है, जिसमें न विटामिन, प्रोटीन, मिनरल या वसा है, अफु है। नशाबाज को ड्राइविंग करने दिया जाए तो वह उचित मुक़ाम पर कैसे ले जाएगा?

कोरोना एक जानलेवा वाइरस है, उसकी दवा नही है, पर उसपर विजयी होने के लिए हमारे शरीर को शुद्ध हवा/प्राणवायु, अल्कलाईन पानी, सूरज की फ़ॉर-इन्फ़्रारेड किरणों और संतुलित/पोषक आहार की ज़रूरत है, जिनसे हमारा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, इनकी पूर्ति में उचित क़दम उठाने की ज़रूरी है।

हमारे जनतंत्रिक देश का तानाशाह /प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारने हिंदू धर्म की अंध:भक्ति पूरे देशपर थोपनी सुरु की है। उनका पुरज़ोर विरोध होना चाहिए। अन्यथा देश की जनता कोरोना वाइरस से नही बच पाएगी। जल्दी से जल्दी-धार्मिक अवडंबरो पर रोग लगानी होगी। यह कार्य मोदी सरकार नही करेगा, हमने ही अपने आचरण से करना होगा, जनजागृति और जनसहयोग से शंभव है।

बुद्ध धम्म और नैतिक तत्वज्ञान


तथागत गौतम बुद्ध का "धम्म" बहुजन 
बुद्धधम्म यानी बुद्धीझम, नीति या धम्म है, धर्म या रिलीजन नही ?
Religion, human beings’ relation to that which they regard as holy, sacred, absolute, spiritual, divine, or worthy of especial reverence. It is also commonly regarded as consisting of the way people deal with ultimate concerns about their lives and their fate after death. In many traditions, this relation and these concerns are expressed in terms of one’s relationship with or attitude toward gods or spirits (https://www.britannica.com/topic/religion)

गौतम बुद्ध (ई सा पू - ५६३ - ४८३) ईश्वर, आत्मा, पुनर्जन्म, पाप-पुण्य और स्वर्ग-नरक से परे है, धर्म इंसान और ईश्वर में रिश्ते निभाने की वकालत करता है, मात्र गौतम बुद्ध मानव का मानव से रिश्ते कैसे रहे इसकी बात करते है, इसलिए बुद्ध विचार धर्म/रिलीजन नही है।

बुद्ध विचारों को धम्म/नीति कहते है, जिसका उद्धेश "बहुजन (बहु=अनेक,सभी, कुल) हिताय, बहुजन सुखाय, आदि कल्याण, मध्य कल्याण, अंत्य कल्याण, लोकानूकंपाय, लोकविदु देव(लोगों में प्रसिद्ध, बुद्धिमान) व मनुष्यास(सामान्य के लिए) पकासेन (ईसापू - ५२८ में वाराणसी में प्रकाशित) किया गया है। जो "आर्य अष्टांगिक मार्ग" के रूप में प्रशिद्ध है। यह आठ अँगो का है, उसमें -
(१) सम्यक् दृष्टि/दर्शन - प्रतित्य सम्मुत्पाद (कार्य-कारण सिद्धांत, मज्जिम निकाय-१/३/८) कार्य कारणों के सामूहिक प्रयास से बनते है।

यह सिद्धांत १२ अँगो से बाँटा गया है।
पहला - अविज्ञा/ अज्ञान - यह क्या है? इंसान को किसने बनाया? इसका ज्ञान नही होना, इंसान को ईश्वर ने बनाया ऐसा कहना अज्ञान है। सब्ब (सभी) चीज़ें/ वस्तु अ-नित्य/अ-नात्म, अ-निश्वरिय, अ-शाश्वत, अ-सर्वज्ञ है। इंसान को किसने बनाया? माँ-बाप (नर-नारी) के मैथुन से वीर्य (बीज) द्वारा इंसान बना।
दूसरा- संस्कार- बाप के बीज का माँ के गर्भाशय में सम्मिश्रण होना।
तीसरा - विज्ञान- पृथ्वी, आप, तेज़ और वायु नामक ४ महाभूतों के पूर्ति से माँ के गर्भ में चेतना/जीव पैदा होना।
चौथा- नामरूप - नाम = चेतना और रूप = शरीर, जीव (सप्तधातु = रस, रक्त, माँस, अस्थि, मज्जा, वीर्य और मेद) के साथ शरीर।
पाँचवा- ६ आयतन - आयतन = ज्ञानेन्द्रिय_मश्तिक, आँख, कान, नाक, त्वचा, जीभ बनना।
छटा - फस्स - इसे हिंदी में स्पर्श कहते है, इंद्रियों का आपसी जुड़ना, तथा मुख, आमशय, पक्वाश्यय, छोटी-बड़ी आँते, मलाशय, मूत्राशय, यकृत, पित्ताशय, अग्नाशय और प्लिहा का आपसी) तालमेल होना।
सातवाँ - वेदना - स्पर्श के कारण संवेदना, जागृति ((मेंदु से विचार, त्वचा से स्पर्श ज्ञान, नाक से गंध, कान से आवाज़, जीभ से चव और आँखों से दृष्टि, देखावा) का ज्ञान उत्पन्न होना।
आठवाँ- तन्हा - तृष्णा, ईच्छा उत्पन्न होना।
नौ- उपादान- उप = कम और दान- लेना माँ से नाल द्वारा कम से कम पोषण आहार लेना।
दसवाँ - भवों - संतान में भावनाओं का विकाश होना, जैसे-सुख (वांछित वस्तु/सेवा की प्राप्ति) , दुःख (वांछित वस्तु/सेवाओं की न प्राप्ति) या न सुख-न दुःख।
ग्याराहवाँ - जाति - जाती = जन्म, जीव ९ माह ९ दिन के बाद गर्भ से बाहर निकलना,माँ का प्रसूत होना और
बारहवाँ - ज़रा-मरण - ज़रा = बिमारी। इंसान की धरती पर ४ अवस्थाएँ होती है - बाल - लोभी, किशोर- भोगी, युवा- त्यागी, बुढ़ापा- बीमारी से मृतु_तक शोक (दुःख) परिदेव (पच्छाताप) यह सभी दुःख समुदाय केवल अज्ञान के कारण निर्माण होते है, इंसान के निर्मिती में भगवान, ईश्वर, परमेश्वर, देव, अल्ला या गाड का कुछ भी योगदान नही है।

(२) सम्यक् संकल्य- बहुजनो के हित-सुख के लिए पहले बताए गए सम्यक् दृष्टि /दर्शन के अनुसार धृढ विश्वास करे।

(३) सम्यक् वाचा - वाचा = वाणी। बहुजनो के हित-सुख के लिए किए गए सम्यक् संकल्प के अनुसार संवाद, संभासन या भाषण करे।

(४) सम्यक् कर्म - कर्म = काम, कार्य। बहुजनो के हित-सुख के लिए सम्यक् वाणी के अनुसार कार्य करे।

(५) सम्यक् आजीविका - आजीविका = उपजीविका। बहुजनो के हित-सुख के लिए सम्यक् कर्म के अनुसार जीवन-यापन करे, उदर भरण, पालन-पोषण करे।

(६) सम्यक् व्यायाम - व्यायाम = आदत, बहूजनों के हित-सुख कि लिए सम्यक् आजीविका के अनुसार कार्य करने की आदत डाले।

(७) सम्यक् स्मृति - स्मृति = स्मरण, याददाश्त। बहुजनो के हित-सुख का सम्यक् व्यायाम के अनुसार हमेशा ख़याल, स्मरण रखे। और

(८) सम्यक् समाधि - समाधि = एकाग्र चित्त। चित्त चंचल होता है, उसे बहुजन हित-सुख के लिए सम्यक् स्मृति के अनुसार एकाग्र रखकर कार्य करे तो सुख सम्भव है।

बुद्धधम्म विज्ञान को बढ़ावा देता है, न की स्वर्ग-नर्क का डर-लालच। 
बुद्धिझम अपनाओ ख़ुश रहो, सुख पाओ।