देश में ९०% लोग गरीब है, जिनसे यह व्यक्ति मदत की गुहार लगाता है, पर अमीरों के निजी बैंक खतों को सिल करके उसे राहत देने के लिए नहीं प्रयोग कर रहा, देश में अंधश्रद्दा को बढ़ावा देने के लिए ही उन्होंने हमेशा कार्य किया, जिसका यह नतीजा है.. .
डॉ बाबासाहब अम्बेडकर ने कहा था की देश के सभी लोगों की संपत्ति जप्त की जाए, सरकार के पास वह रहेगी और सरकार जनता को उसके दमपर सुखी बनाए रखने में मदत करेगी, पर कांग्रेस के नेहरु/पटेल ने नहीं सुनी. भारतीय संविधान के अन्दर जबरन निजीकरण को बढ़ावा देनेवाली धारा -३१ को घुसड़ दिया...
अब सरकार भिकारी है और कुछ मुट्ठीभर ५% जनता अमीर है...उनके सामने जब संकट आता है तो वे सिर्फ मंदिरों में चुप चाप चढ़ावा चढाते है... मंदिरों को रौनक आती है और लोगों को गरीबों को लगता है की यह भगवान का आशीर्वाद, प्रसाद है...
भारत की ९९% जनता भगवान पर भरोसा करती है जो मुर्ख है? ऐसी सिक्षा उन्हें पाठशाला से मिलते रहेगी तो उन्हें कौन संकट, आपदाओं से दुबारा बचाने आयेंगे? भारत की सरकार एकदम कंगाल है और से चलाने के लिए राजनेता जंग में सम्मिलित होते है. मनमोहन सिंग को पता है की सरकार चलाना कितनी कसरत है?
बिना धन से सरकार चलाई नहीं जाती वह तो सो सकती है... देश अमीर होने से क्या फायदा? जीडीपी बढती है तो उसका फायदा देश को थोडीही हो रहा है ? उसका पूरा फायदा देश के अमीरों को ही हो रहा है?
उत्तराखंड के पुर पीड़ित कौन है? जो गरीब तबके के लोग है, जो आर्थिक और कौटुम्बिक समस्याओं से परेशां थे, जो सरकार के सामने गिदगिड़ा रहे थे, की उनकी कुछ तो भी मदत करो, पर कांग्रेस ने उनकी कोई भी बाते नहीं सुनी..
लोग मज्बुरत भगवान के दरबार में सुखी जीवन जीने के लिए मदत करे, पर भक्त बिचारे भोले होते है, बिनडोक, उन्हें यह भी पता नहीं होता की पत्थरों के हमारे बनाए हुए या "भगवान" नाम के टुकड़े हमें कभी भी सुख प्रदान नहीं कर सकते.
अगर गलत जगह पर दस्तक दी गयी तो हाल तो बेहाल होना ही है. लो जूझो अब भगवान का कोप! सोनिया गाँधी क्या गरीब है जो अपने मंत्रियों से राहत की भिक मांग रही है... उसने पहले खुद को भिकारी घोषित करना चाहिए...
देश में निजीकरण को बढ़ावा कांग्रेस ने दिया,,, मुट्ठीभर लोग अमीर बने, उनके पास धन रखने को जगह नहीं है तो वे विदेशो में रखकर आते है...
देश का पंतप्रधान अगर एक अर्थ तदन्य हो और देश के भलाई और आगे के रणनीति को नहीं बना सकता तो उनके डाक्टर होने पर लानत है, देश में हर साल बारिस होती ही है,बाढ़ आता ही है, तो कुछ तो योजनाए चाहिए?