_ _ _ _ _ बुद्ध वचन _ _ _ _ _
सुत्त पिटक (गृहस्थों के सम्बंधित)
(१) दिग्ग निकाय -
बुद्ध वचन - २ व १३ सुत्त
(२) मज्झिम निकाय -
बुद्ध वचन - ७, १७, २४, २६, २९, ६१, ६३, ७१, १०७, १०८, १४०, १४४, १५२ सुत्त
(३) संयुक्त निकाय -
बुद्ध वचन - २, ३, ४ व ६ सुत्त
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भिक्षुओं ने जिन जिन ग्रंथो को समाविष्ट किया वह उनकी मर्ज़ी है, ग़लती भी वे ही करेंगे और न्याय दान भी वे ही करेंगे, बहुत परस्पर विरोधी विचारों का प्रदूषण हुआ है, अंध:श्रद्धा ही दिखाई देती है, इन सभी बातों को देखते हुए बाबासाहब अम्बेडकरने उनके भाषण में र्रिश डेविड के किताब का हवाला देते हुए कहा था,"सुत्त पीटक के हर पन्नो पर मिलावट दिखाई देती है, हिंदू धर्म का गंदा पानी बुद्धधम्म के अच्छे पानी में आकर मिल गया, उसे अलग करने के लिए मेरे पास समय नही है, मगर कोई करे तो मै उसे नवाजूँगा"
उनके जीते जी किसी ने प्रयास किया होता तो मुझे इस विषय पर लिखने की ज़रूरत नही होती, मुझे ख़ुशी नही तो दुःख महसूस हो रहा है,परंतु नही करे तो नई पीढ़ी धम्म को पड़कर इसे अफ़ीम समझ बैठे गा, जैसा चाइना में हुआ, बुद्ध के पास ग़रीबों दुःख दूर करने के लिए कुछ भी नही दिखा, उन्होंने पर्याय के रूप में कार्ल मार्क्स को क़रीब किया, अभी कितने प्रतिशत बौद्ध बचे होंगे?
प्यारे मित्रों, कही समय से ऐसा प्रचार किया जाता रहा है की बुद्ध धम्म अफाट है, उनका साहित्य अफाट है, कोई भी नही पढ़ सकता, वह त्रिपिटक के रूप में है, उसकी भाषा पाली है।
बुद्ध के विचारों के साथ अगर भिक्षुओं के विचार मिलाए जाए तो वह अफाट है, नही तो केवल बुद्ध के विचार वह भी अस्सल तो बहुत ही कम है, उसके अनुवाद ग्रंथ भी उपलब्ध है।_ आपको अगर धम्म में रुचि है तो नीचे दिए गए सुत्तो की ओर ध्यान दे, बाक़ी को कचरा समझ कर फेंक सकते है, मर्ज़ी आपकी _!
बुद्ध वचन पहले भानक द्वारा मुखपाठ किए जाते थे, क़रीब ५ शतकों बाद उसे लिपिबद्ध किया गया, कुछ तो हेरा-फेरी ज़रूर हुयी होगी परन्तु जो वचन बुद्ध के “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” उद्धेश के साथ अंध:श्रद्धा मुक्त है, उसे ही बुद्धवचन के रूप में स्वीकार किया गया। धम्म जानने के लिए इतने सिर्फ़ १९/२० सुत्तों का अद्ययन कोई भी कर सकता है,
सुत्त निकाय के (१) अंगुतर व (२) खुद्दक निकाय और उनके खुद्दक पाठ, धम्म पद, उदान, इतिवत्तक, सुत्तनिपात, विमान वत्तु, पेत वत्तु, थेर गाथा, थेरी गाथा, जातक, पतिसम्भिदामग्ग, उपदान, बुद्ध वंश, चरियाँ पिटक व निदेश यह १५ ग्रंथ।
विनय पिटक तो भिक्षुओं के लिए है पर उसमें भी पुराने ७५ थे, उसकी संख्या अब २२७ हो चुकी है तो नए कितने डाले गए है? तथा अभिधम्म पिटक भी बाद में लाया गया है।