_ बुद्ध के भिक्षु संघ में ब्राह्मण भी थे, बुद्ध जाने पर उन्होंने ख़ुशियाँ महसुस की और अलग टोली चलाने लगे, ग़ैर प्रचार करने लगे, उन्हें द्वितीय धम्म संगति में बहिस्कृत किया गया, निकाला गया, तो उन्होंने ख़ुद के समूह को महा और पुराने समूह को हीन / नीच कहना और वैसा प्रचार करना भी सुरु किया _ सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध में भारी मानव हिंसा की।
_वे विजय की खूसी मनाने के बजाए दुखी रहने लगे, निंदे चले गयी,ब्राह्मणो द्वारा पूजा पाठ किया पर फ़ायदा नही हुआ, एक दिन उन्होंने एक भिक्षु को देखा और पूछा आप इतने निर्भय और शांत कैसे हो? सभी और तो दुःख, शोक का मातम है, मुँझे अपने गुरु से मिलाओ, वे मिले और बुद्ध धम्म सुनने के बाद शांत होने का एक यही मार्ग है _इस विषय पर उन्हें पूर्ण विश्वास हुआ, धम्म दीक्षा ली, ३ री धम्म संगति हुयी।
_भिक्षु संघ के नामपर ब्राह्मणी विचारों का प्रचार हो रहा था, उसे रोखने के लिए छद्म बौद्ध भिक्षुओं के चिवर हरण किए गये, उन्मे महायानी भिक्षु थे, वे इस अपमान का बदला लेने ताक में शांत रहे, जब महान अशोक का सत्ता पर दुरलक्ष हुआ_यह स्थिति देखकर सम्राट अशोक के पत्नी को राजा के विरोध में उकसाया गया, राजा भिक्षुओं को बहुत दान देते है, तिजोरी ख़ाली हो रही है।
_इसे रोखना होगा, तो धन दान पर लगाम लगी साथ में सम्राट अशोक के सेवाओं पर भी लगाम लगायी गयी, इतनी के आख़री-आख़री में उन्हें सिर्फ़ एक आँवले के माफ़िक़ भोजन पर गुज़ारा करना पड़ा, उनका दु:खदायी अंत हुआ, आगे पणतु बृहदरथ राजगद्दी पर बैठा तो ब्राह्मणो ने सेनापति पुष्यमित्र शुंग के ज़रिए राजा का गला काटकर मारा, उनके गद्दी को हड़पा गया।
_ब्राह्मण और महायानी ख़ुश हो गए। हिनयानी बौद्धों के लिए ख़तरे की घंटी बजी, हिंदू सुधनवा राजा ने (हिनयानी) भिक्षुओं के सर काटकर लानेवाले सैनिकों को मुद्राएँ भेंट करनी सुरु किया, हीनयानी शुद्रो में गिनना सुरु हुआ। परंतु वह संघमित्रा और महेंद्र के कारण श्रीलंका में जीवित था। भारत से बुद्ध विचारों का अंत करने के लिए मुस्लिम आक्रमण होने के पहले से ही महायानी/ब्राह्मणो ने आक्रमण सुरु कर दिया था, मुस्लिम आए भी परंतु महायानी ख़त्म नही हुए।
_सम्राट अशोक न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारा इन जनतंत्रिक मूलों की रक्षा में शाशन चला रहे थे, यह जीवन की महान मूल्य है, जो बुद्ध विचारों की देन थी, शासन गया पर बुरे लोगों में नही तो अच्छे राजा के रूप में उनका नाम हमेशा याद किया जाएगा।