सोमवार, 1 जुलाई 2013

बीएसपी जनतांत्रिक नही, तो तानाशाही पार्टी है ...!

भारत में हिन्दुधर्म को माननेवाले जादा लोग है जो ईश्वर का प्रसाद समझकर जाती प्रथा का पालन करते है. जबतक उनके दिमाग से ईश्वर का डर नहीं निकला जायेगा, तबतक वह जाती प्रथा का पालन करेगा, राजनेता चाहते है की हमें सिर्फ उनके वोटों से मतलब है, हमारा काम हुआ की सबका काम हो ही जायेगा. क्या राजनेता का काम ही जनता का काम है? राजनेता भ्रस्टाचार द्वारा धन जमाते है तो वह देश के जनता में बंटते है? जाती भगवान ने बनाई है, उनका पालन नहीं करेगे तो भगवान कोप जायेगा और हमारा नुकसान करेगा, यह हिन्दुओ की धारणा है.

उनके धरना को बिना सुधारे उनसे यह अपेक्षाए नही कर सकते की उन्होंने उंच या नीचता की भावनाए त्याग दे. बामसेफ/ बीएसपी को हिन्दुओं के आधारपर टुकड़े पसंद है पर धर्म को बिना सुधारे ही जातिवाद केवल पुलिश के डंडे द्वारा सुधर जाए. शिक्षानीति में धार्मिक मुद्दों को नही शिखाया जाता और न उनकी चिकिस्ता की जाती है. विद्यार्थी उच्च शिक्षित होने के बाद भी मंदिर सिढिया चढ़ने में महानता महसूस करते है. 

हिन्दुओं जाती के नामपर बीजेपी और बीएसपी हमेशा ठगती राहती है इसलिए उनके विकास में रोड़ा है. हिन्दुओं के धार्मिक, देवी देवताओ के  आस्थाओं को देखकर ऐसा लगता है की उन्होंने ली शिक्षा बेतुकी है, अवैज्ञानिक है. उनके शिक्षा का न उनके लिए कुछ फायदा है और न देश के लिए. उन्हें जबतक अंधश्रद्धा मुक्ति की शिक्षा जबतक बहाल नही की जाती है, तबतक जातिवाद, पूजापाठ, मंदिरों का दर्शन, आशीर्वाद, कृपा, स्वर्ग, नरक, राशिभविष्य, भेदभाव जारी रहेगा. 

क्या बीएसपी का शासन उत्तरप्रदेश में होने के बाद उन्होंने हिन्दुधर्म भावना सुधार शिक्षा अभियान चलाया था? अगर चलाया होता तो जातिगत भेदभाव के घटनाओं को लगाम लगी होती, पर वैसा नहीं हुआ. खुद दोषी होने के बाद भी दूसरों को दोष देने में कतै बुद्धिमानी नहीं है. हमारे हातों में सत्ता दो हम यह करेंगे, वह करेंगे के वादे लोगों ने अभीतक बहुत सुने पर बीएसपी के सभी वादे खोखले नजर आए. बीएसपी झूटी, ठग, भ्रष्टाचारी, जातिवादी, ईश्वरवादी, सांप्रदायिक पिछड़े हिन्दूओं की पार्टी है. 

जो जनतंत्र के नामपर धब्बा है. उनमे और अन्य नामी पार्टियों में बहुत बडा फरक नहीं है. अन्य पार्टियों से एह जरा ज्यादा ही बुरी है, क्योंकि यह पार्टी तानाशाही विचारों के आधारपर पार्टी का मुखिया चुनती है, पार्टी में जनतांत्रिक विचारों का अभाव है. बीएसपी जनतांत्रिक राजनीती में बहुत बड़ा काला धब्बा ही नहीं है, तो कलंक भी है.

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