बुद्ध का बहुजन और बामसेफ का बहुजन इसमें क्या अंतर है? बामसेफ को यह शब्द जिस अर्थ से अभिप्रेत है, उस अर्थ से बुद्ध को कदापि अभिप्रेत नही था. जिस प्रकार बामसेफ ने भेदभाव किया,उस प्रकार का भेदभाव बुद्ध ने नही किया. फिर हम कैसे कहे की बामसेफ यह बाबासाहब और बुद्ध विचारों पर चलनेवाला संघटन है? जो जाती/वर्णवादी विचारों के समर्थक है, वे मानवता के नामपर कलंक है.
बुद्ध के भिक्खु संघ मे ब्राह्मण. क्षत्रिय. वैश्य और शुद्र भी थे. भिक्खुसंघ मे ७५% तो ब्राह्मण ही थे. मात्र बामसेफ ने ब्राह्मण, क्षत्रिय. और वैश्य को उच्च वर्णीय समजकर उन्हें शत्रु कहा. सिर्फ सत्ता हासिल करने शुद्र-अतिशूद्र और उनसे धर्मान्तरित जनता को ८५% बनाने का प्रयास किया. बुद्ध के "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय" का मतलब वर्नातित था, जो सुखों से वंचित है उन्हें सुख प्रदान करना यही धम्म का उद्धेश था.
खुद बाबासाहब ने भी अपने जीवन मे ब्राह्मणों के साथ मित्रता की, सहयोंग भी लिया तथा रिश्तेदारी भी निभाई. वे व्यक्ति के विरोधक नही थे. उन्होंने पेरियार रामासामी से दोस्ती की मगर उनके विचारों के वे दास नही बने. बुद्ध और बाबासाहब के विचारों से बामसेफ बिचारधारा हमेशा दूर रही है. इसलिए उसे आम्बेडकरी संघटन समजकर सहयोग देना यानि अपने घर मे विषैला सांप पालना है.
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