बुधवार, 6 मई 2020

बुद्ध धम्म और महायान

भिक्षु संघ से निष्कशित ख़ुद को "महायानी"कहते है।जिन्होंने उन्हें निष्कशित किया उन्हें इन्होंने "हिनयानी" (नीच विचार वाहक) कहना सुरु किया, दोनो संप्रदायों ने संगतिया लगायी और धम्म के नामपर अपने विचार त्रिपिटक में सम्मिलित किए, उसी को आधार बनाकर बाबा साहब अम्बेडकर ने "द बुद्ध एंड हिज़ धम्म" की रचना की, उसके उपरांत परिणाम क्या हुए?

बाबा साहब अम्बेडकर ने "द बुद्ध एंड हिज़ धम्म"में पुनर्जन्म की तारीफ़ की, कहा की जिन से हम बने है वे भौतिक पदार्थों का पुनर्जन्म होता है। जबतक हम ज़िंदा है तबतक हम है।मरने के बाद "मै/हम" नही रहता तो पुनर्जन्म को स्वीकारने की कोशिस क्यूँ की? उसका एक ही कारण है, महायानी ग्रंथो का अंधानुकरन। जातक कथा जन्म-जन्मो की सृंखला समझाती है।

बोधिसत्व की महिमा समझाती है, बोधिसत्व के लालच जाकर १९३५ की घोषणा को १९५६ में पूरी किया, हम तो व्यक्तिपूजक है, जिनकी पूजा करते है, उनकी आलोचना करने से बचते है, सफलता के लिए आलोचना से बचना कोई सही इलाज नही है, आलोचना से कुछ सबक़ लेकर हम आगे बढ़ सकते है,पर आलोचक को भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है, आलोचना करने का फल साक्रेटिस और संत कबीर साहब जैसे कही लोगों को अपने जानो की क़ुरबानी देनी पढ़ी इसलिए आलोचक भी डरते रहते है।

बुद्ध धम्म का उद्धेश “बहुजन हित-सुख-कल्याण” है, उसके लिए आर्य अष्टांगिक मार्ग और आदर्श जनतंत्र के लिए "भिक्षु संघ" का संविधान बना, जिसका प्रयोग "वज्जि"लोग उनके जीते जी करते थे। वर्ण निर्मूलन के बाद समाज में सुख-शांति बनाए रखने के लिए हमने हमारे आचार-विचार कैसे वैज्ञानिक होने चाहिए इसलिए उन्होंने कभी कर्मकांडो की वकालत नही की थी।

बाबा साहब अम्बेडकर ने "द बुद्ध एंड हिज़ धम्म" लिखा यह अच्छी बात है, सिद्धार्थ बुद्ध कोई काल्पनिक पात्र नही है, इसके पहले जो भी ग्रंथ लिखा उसके संदर्भ देते रहे परंतु इस ग्रंथ के अंत या अंदर में नही दिए, आख़िर क्यू? उन्हें पता था, की बुद्ध त्रिपिटक में भारी मिलावट हुयी है। अगर संदर्भ दिए गए तो उसके विश्वास पात्रता पर संदेह किया जाएगा और यह ग्रंथ "मतभेद" का विषय बनेगा।___ हिंदू धर्म का गंधा पानी बुद्ध धम्म के शुद्ध पानी में आकर मिला है, अब वह गंदगी दूर करने की ज़रूरत है, जो इस गंधगी को साफ़ करेगा उसे मै नवाजूँगा, अब मेरे पास वक़्त नही है,___मै बौद्ध धम्म का प्रसंसक हूँ, चाहता हूँ, संशोधक नही हूँ। इसप्रकार बयान देने के बाद हमारी क्या ज़िम्मेवारी है? गंन्दगी साफ़ करने के लिए उसकी आलोचना करे या उससे बचे?

निर्वाण भी महायानी भिक्षुओं की गंधी खोपड़ी की उपज है, जिस के हमले से ख़ुद बाबा साहब अम्बेडकर नही बच पाए तो आप और हम किस गली की पत्तियाँ है? धम्म उद्धेश के पूर्ति के लिए जो विचार पूरक है वे धम्म का अंग हो सकते और जो विचार पूरक नही हो सकते वे घातक ज़रूर होते है।निर्वाण बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय, आदि कल्याण-मध्य कल्याण-अंत्य कल्याण कर रहा है क्या? अगर नही तो उसे स्वीकार करने से हमारी/समाज की कोनसी तरक़्क़ी है?

व्यक्ति जबतक ज़िंदा रहेगा उसमें इच्छाएँ रहेगी, उसका परित्याग करना से शांति ज़रूर मिलेगी पर शमशान में, ख़ुशी तो मिल ही नही शकती, दुःख मिलेगा,बताने वाले बताते जाते और हम उनका अंधनुकरन करते जाते, निर्वाण = ना + वान = शरीर/काया। निर्वाण = काया नही है। इसमें उपलब्धि क्या है? "निर्वाण" की गरिमा क्या है?_महायानी/ब्राह्मण भिक्षुओं को भिक्षु संघ ने निस्कासित किया था वे लोग ख़ुद की टोली चलाने लगे वे धम्म के दुश्मन थे, धम्म अवरोध के लिए उन्होंने क्या क्या नही किया?

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