सोमवार, 11 मई 2020

बहुजन हिताय - बहुजन सुखाय



बुद्ध विचार और भिक्षु विचार ऐसे दो प्रकार के विचार त्रिपिटक में पढ़ने मिलते है, जो विचार आपने पढ़े है वे बुद्ध विचार नही है, भिक्षु विचार है। महायानी भिक्षुओं पर धम्म को पलिद करने का आरोप लगा और उसे धम्म और संघ का हिस्सा मानना ग़लत है। बुद्धत्व का मतलब मन पर विजय नही है, समश्याओ का हल करने के लिए मदत करनेवाले विचार है। पहले समश्या को समझो और उसे निराकरण करने के क्या क्या तरीक़े है उसका इस्तेमाल करो।कोई भी समस्या दुःख से लिप्त होती है, उसे सुलझाना यानी समाधान, सुख है।

गंगा उगम के पास शुद्ध पानी देती है पर बादमे किनारे के गावों का गंधा पानी जमा होते रहता है जिसे अशुद्ध पानी कहते है भले ही उसका उगम शुद्ध पानी से क्यूँ न हो_ अनित्य = परिवर्तन है, जो पहले था वह अब नही_ बुद्ध धम्म ईश्वरवादी नही पर बादमे महात्मा फुले ईश्वर (निर्माता) वादी बने _ मुझे बताओ_ ईश्वर वाद और अनिश्वर वाद में फ़र्क़ है या नही? अमृत + ज़हर = ज़हर। तो हमने गंगा का पानी पीना चाहिए की पलिद गाँव के नाले का?

तथागत गौतम बुद्ध ने अपने पहले और आख़री भी प्रवचन में इस बात पर बल डाला था, संसार में दुःख है और उसका इलाज "आर्य अष्टांगिक मार्ग" का पालन (सुख प्राप्ति) करने में ही है।उसे समझने के लिए क्रमश: आठ सम्यक् = साम्य (२ अंतो/अतियों का अंत) यानी "मध्यम" को समझना होगा, उसके बाद पहला मार्ग "सम्यक् दृष्टि" समझनी होगी, यानी "प्रतित्य समुत्पाद" सिद्धांत समझना होगा।

अगर यह समज गए तो "सम्यक् दृष्टि" के ज़रिए "सम्यक् संकल्प" करना होगा, फिर किए हुए संकल्प के अनुसार "सम्यक् वाणी" करनी होगी" फिर वाणी के अनुसार "सम्यक् कर्म" करने होंगे, फिर किए कर्मों की अनुसार "सम्यक् आजीविका" यानी अर्थार्जन करना होगा।

फिर अर्थार्जन के प्रक्रिया के अनुसार "सम्यक् व्यायाम" यानी आदत डालनी होगी, फिर डाले हुए आदत के अनुसार "सम्यक् स्मृति" करनी होगी यानी याद रखना होगा और अंत में किए हुए याददास्त के अनुसार "सम्यक् समाधि" यानी उचित, वांछित समश्याओ का समाधान, निराकरण करना होगा।

तभी ही हमें सुकून यानी संतोष, सुख मिलेगा। (याद रखे_ सम्यक् समाधि = विपस्सना, निर्वाण या ध्यान भावना प्राप्त करना नही है।) यह आठ कड़ियाँ एक दूसरे पर निर्भर है, एक के बाद दूसरी इस क्रम से करना ज़रूरी है। उसे सिलसिले ढंग से समझने के लिए नीचे जानकारी दी गयी है उसे समझे, एक दूसरे को साझा करे, जनहितो में प्रचार करे। जय भीम_!

 





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