सोमवार, 18 मई 2020

कोरोना विषाणु से मुक़ाबला


हिंदू मित्रों, जिन्हें पता नही है उन्हें मै अवगत करना चाहता हूँ, प्राचीन काल गौतम बुद्ध ने "बहुजन (समाज) हिताय-बहुजन सुखाय" के उद्धिष्ट को पूरा करने के लिए धम्म स्थापित और प्रचारित किया था, धम्म यानी इंसान ने इंसान के साथ बर्ताव करने के तत्व, तत्वज्ञान। उनका पूरा धम्म (नीति) "आर्य अष्टांगिक मार्ग" में समाईं गयी है।
यह आठ अँगो से युक्त है, पहले के ऊपर दूसरा निर्भर है, आठ मार्ग/अंग संयुक्त है, एक जीव है, उसमें पहला अंग है, सम्यक् दृष्टि (सम्यक् दर्शन) यानी "प्रतित्य-सम्मु-त्पाद" (प्रत्यय-समूह-उत्पत्ति) यह २४ अँगो में विभाजित है, उसमें १२ अनुलोम (पच्चया) और १२ प्रतिलोम (निरोधा) है, पच्चया से उत्पत्ति और निरोधा से निराकरण यानी उत्पत्ति निराकरण का सिद्धांत बताया है।
संतान की उत्पत्ति माँ + बाप से गर्भ धारणा, गर्भ धारणा से विज्ञान = चेतना, चित्त, जीव (जिवद्रव्य) विज्ञान से नामरूप (चित्त+शरीर) उत्पन्न होता है। शरीर = पृथ्वी/भोजन + आप/पानी + तेज़/उष्णता और वायु/प्राणवायु से बना है, यह चार भौतिक घटक शरीर को हर दिन, हर पल देने ज़रूरी है, उसे नही दिए तो इंसान कमज़ोर होता है और कुछ दिन बाद मरता है।
अगर ४ भौतिक पदार्थ प्रदूषित देते है या कम मात्रा में देते है तो शरीर बीमार होगा। सुद्ध स्वरूप में देते है तो शरीर तंदूरस्त होगा यानी शरीर के वजह से मन भी प्रसन्न होगा। तंदूरस्त शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर्याप्त मात्रा में होती है, जो किसी भी प्रकार के विषाणुओं से शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।
आज कोरोना विषाणु का विश्व में डर चालू है, लोग भयभीत है_डाक्टर संभ्रमित है, मास्क, शरीर को निर्जंतुक करने के उपाय, लस बनाने के काम में लग गए। हमारे इर्द-गिर्द क़रीब ३ लाख विषाणु है, कुछ घातक है, तो कुछ बे-असरदार है। जो बहुत सूक्ष्म जीव है।

जब हमारे शरीर में हवा/पानी/खाने के माध्यम प्रवेश करते है तो हमारे शरीर में नाचरल किलर सेल (नैसर्गिक रोगप्रतिरोधक कोसिका) ख़ून में होती है, जिसे हम सफ़ेद रक्त कोसिका भी कहते है। उनका काम यह होता है की बाहरी आक्रामक कोशिका को ख़त्म करना।
इन कोशिका का पोषण सही से होता रहे तो यही हमारे शरीर की विषाणुओं से रक्षा करेंगी। मगर हम लोगों को (मज़दूरों को) भूखे रखेंगे तो उनकी "रोगप्रतिरोधक क्षमता" कमज़ोर होगी, शरीर पर विषाणुओं का क़ब्ज़ा होगा और इंसान मरते जाएगा। यह सभी ज्ञान भारत के हर छात्रा-छात्र को मास्टर पाठशाला में पढ़ाते है, पर नरेंद्र मोदी के सामने सबका ज्ञान ग़ायब हो जाता है।
ऐसा क्यूँ होता है? नरेंद्र मोदी ने मिडिया, पुलिस और हिंदू धार्मिक गुंडो को धमकाने के लिए रखा है। यह प्रधान मंत्री विश्व स्वास्थ संगठन का हवाला देकर जनता को अज्ञानी समज़ रहा है। ऐसा करने के पीछे इनके क्या हित है? इसकी जाँच होनी चाहिए। केंद्र सरकार के सभी निर्णय/उपाय ग़लत है।                                                                                                                                                                  विश्व में केवल "अलोपथी" में इलाज तलास करना और "आयुर्वेदिक", होमीयोपथी, नचरोपथी को दरकीनर करना कहतक उचित है? देश की जनता अब पुलिस की डंडे खा रही है कल अगर वे पुलिसों पर ग़ुस्सा निकाले तो? फिर सेना का सहारा लिया जाएगा और सेना पर भी ग़ुस्सा निकाले तो? राजनेता कहापर छुपेंगे? जनता को ग़ुस्से से बचाओ नही तो वे देश का नक़्शा बदल देंगे।

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