बुधवार, 26 जून 2013

अम्बेडकरी मिडिया ?



"२२ प्रतिज्ञा" यह सिर्फ "प्रासंगिक" थी. अभी वह प्रसंग नही रहा इसलिए उसे दोहराने की जरुरत नहीं है. तथा डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर ने कहीं पर उसे दोहराने को नही कहा है, इतनाही नही तो १२ वि प्रतिज्ञा पुनर्जन्म का स्वीकार करती है, यह बुद्ध धम्म का हिस्सा नहीं है. बोधिसत्व को प्राप्त करने के लिए ही पारमिता के नियम बनाए गए थे, जो १० जन्म तक बोद्धिसत्व के नियमों का पालन करता है वही बुद्ध होता है. 


क्या सिद्धार्थ उनके पहले के पहले १० जन्मतक बोधिसत्व थे? किसने देखा था? बुद्धिज़्म को ब्राह्मण लोगों ने हिन्दुधर्म को बचाने के लिए बौद्ध विचारों में भ्रम फैलाया था, जिसका प्रचार महायान संप्रदाय ने जोरशोर से किया है और अभी भी चालू है. बुद्धिज़्म को बिना जाने उसे मानने की प्रतिज्ञाए लेना मुर्खता के अलावा और कुछ भी नहीं है. 


जिस मुंबई स्थित सोनटक्के साहब (मोबाईल- ०९२०९२६३३३६) ने "२२ प्रतिज्ञा अभियान" फेसबुक पर चलाया था उन्हें ही मैंने दो साल पहले आपत्ति जताई थी मगर उन्होंने मेरे आपत्ति पर कुछ भी गौर से विचार नहीं किया. लार्ड बुद्ध टिव्ही ने भी उसे नवाजा है, क्या लार्ड बुद्ध टिव्ही के मालिक भैय्याजी खैरकर को कुछ दिमाग है या केवल भूसा? आवाज इण्डिया टिव्ही भी और कोनसा धम्म पढ़ा रहा? खुले आम विपस्सना का प्रचार कर रहा है. क्या बुद्ध ने विपस्सना सिखाई थी? महाबोधि चैनल का "ध्यान' क्या है?

भारतीय संविधान यह कान्ग्रेशी उच्च वर्णीय लोगों के संविधान सभा में पास की गयी कृति/ किताब है, जिसमे बाबासाहब के विचार नही तो सिर्फ कांग्रेसी लोगों के विचार है उसे यह चैनल बाबासाहब के विचारों पर होने का दावा करती है, बाबासाहब को संविधान कैसा बनाना था और कैसा बन गया? इनकी उन्हें जानकारी है? 

टिव्ही माध्यम यह दुधारी तलवार है, उनका इस्तेमाल करनेवाले दिमाग अगर निर्बुद्ध है तो उससे फायदे के एवज में नुकसान भी भारी हो सकता है. जो लोग धम्म को बिना जाने ही धम्म प्रचार करने का दावा करते है वे बेफकुफ़ नहीं तो और क्या है? क्या यह टिव्ही चैनलों को प्रयास धम्म को आगे ले जाने का है या पीछे? लोगों के ही चंदे से लोगों को ही मुर्ख बनाना यह कदम कहाँ तक सही है? अम्बेडकरी लोगों ने "बुद्धि"प्रामान्यवादी होना चाहिए या "शब्द" प्रामान्यवादी ?

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