शुक्रवार, 14 जून 2013

क्या राजसत्ता से जातिवाद मिट सकता?

भारत देश किसी विशिष्ट जाती, धर्म, वंश या वर्ग का नही है. भारतीय संविधान के तहत एकता और अखंडता लाने के लिए न्याय, स्वतंत्र, समता और बंधुभाव के नैतिक मूल्यों पर अधिष्टित कानून बनाये. अफ़सोस की बात यह है की इन कानूनों के रखवाले ही कानूनों का उल्लंघन करेंगे तो संविधान का उद्धेश सिद्ध कैसे होगा? 

एकता और अखंडता कैसे आएगी? यह संविधान जितना अमीरों शोषण से सामान्य लोगों को मुक्ति दिलाने का कार्य करता है. मगर अमीरों के दलाल बने शासकीय, प्रशासकीय, न्यायपालिका और प्रेस मिडिया के लोग सामान्य लोगों का हित सुख, देश मे शांती, एकता और अखंडता को भूलकर कानून की धज्जिया उड़ा रहे है.


सामान्य लोगों के हितों की रक्षा हो इस सच्चे उद्देश से भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर ने २ साल ११ माह १८ दिन लिखने के लिए लगाए मगर उनको चलाने वाले राजनेता सामान्य लोगों के हितों के रक्षा करने के बजाय खुद के हितों की रक्षा करने मे लगे हुए है. हर पार्टी के लोग बेईमान हो गए. चोर चोर मौसेरे भाई बने है. भारत को तुम भी लूटो और हम भी लुटते है.

ईमानदार बाबासाहब आम्बेडकर का नाम लेकर सत्ता मे आयी मायावती बेईमानी करके करोडो रुपने भ्रष्टाचार से लेकर चुम्ब्ली मांडकर बैठी है. उनके चमचे चेले उसे जायेज समजते हुए तर्क देते है की कांग्रेस, बीजेपी और अन्ये पार्टियों के लोग करते है तो उन्हें क्या नही कहा जाता? क्या सचमुच नही कहा जाता?

चोरी या अन्याय अगर दूसरे लोग करते है तो वे संविधान और देश के दुश्मन है, तो क्या संविधान के रचयिता डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर का नाम लेकर वे जनता से वोट तो नही बटोर रहे है, कोई उनके नामसे वोट माँग भी ले तो जनता उनको वोट नही देती क्यों की वे जानती है की वे उनका हित करने मे हमेश आनाकानी करते है और जो पिछड़े जाती के उमीदवार है वे उनके जैसा व्यवहार नही करते. लेकिन जनता के साथ जैसा धोका कांग्रेस, बीजेपी ने किया वैसा ही धोका पिछडों के पार्टियों ने भी किया है.

बिसपी भी अगर कांग्रेस के क़दमों पर कदम डालकर चलना चाहती है तो वे जरुर चले, वे आझाद है, मगर बाबासाहब आम्बेडकर के नामपर वोट मांगना बंद करे. वे अगर इतनी बाबासाहब की हिमायती होती तो आर.पी.आय. को ही सुधारकर राजकीय क्ष्रेत्र मे विजय दिलाती. बाबासाहब के लोगों को गुमराह करके वोट बटोरकर बिसपी को आगे नही बढाती. बिसपी एह कांशीराम की पार्टी है और आर.पी.आय. यह बाबासाहब आम्बेडकर की पार्टी है.

मायावती. कांशीराम का काम आगे बढ़ा रही है, बाबासाहब का नही. कांशीराम कांग्रेस जैसी पार्टी बनाना चाहता था, जो पूंजीवादियों की हिमायती है, वैसी ही पार्टी बाबासाहब को पसंद नही थी? बाबासाहब की पार्टी बुद्ध के विचारोंपर चलाने का उनका सपना था, गाँधी और कांग्रेस के विचारों पर नही..

1 टिप्पणी:

  1. मुझे तो आप मनुवादी ही लगते है. आप मनुवादी मिडिया और उनके प्रचारतंत्र का हवाला देकर महान बौद्ध उपासिका बहन मायावतीजी पर भ्रष्टाचार के झुठे आरोप लगाते हो, जब की इस देश के सुप्रिम कोर्ट ने संविधान को साक्षी मानकर बहन मायावतीजी को भ्रष्टाचारा के सभी आरोपो से मुक्त कर दिया.. आप जैसन मनुवादीयों को भ्रष्टाचार दिखता है लेकिन महान बौद्ध उपासिका बहन मायावतीजी द्वारा किये गये कार्य नहीं दिखते.. महान बौद्ध उपासिका बहन मायावतीजी अपने बौद्ध शासनकाल में जो भी स्मारक बनाये वह बौद्धस्थाप्तय वास्तू कला के आधार पर बनाये.. यहां तक की भारत देश जिस बुद्धिस्ट युनीवरसिटियों के लिये दुनिया में पहचाना जाता था., आज के भारत में बहन मायावतीजी ने इस देश में सबसे सुंदर विद्यालय गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय का निर्माण ग्रेटर नोडा जैसे महंगे शहर में निर्माण करके एक इतिहास का निर्माण किया.. यहां तक की बौद्ध भिक्षुओं के निवास की व्यवस्था होनी चाहिए इसलिये महान बौद्ध उपासिका बहन मायावतीजीने उनके लिये भव्य बौद्ध शांती उपवन का निर्माण किया.. इसके साथ ही बहन मायावतीजी ने 21 वी सदी के भारत में इस देश का सबसे बड़ा डॉ. आंबेडकर स्मारक फोर्ट बनाकर इतिहास कायम किया..

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