भारत में जब भी नैसर्गिक विपदा आती है तब तब केंद्र और राज्य सरकार जनता के सामने हाथ जोड़कर मदत करने की गुहार इसलिए करती है क्यूँकि उन्होंने अंबडेकर साहब का कहना १९४६ में नही माना। उनका क्या कहना था?
जल्द ही भारत देश आझाद होगा, भारत का संविधान लिखा जाएगा उसमें राज्य समजवाद को अपनाना चाहिए।
राज्य समजवाद क्या है? भारत में उधोग-धन्दो, खेती और विमा का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
क्यू राष्ट्रीयकरण किया जाए? अगर किसी समय देश में नैसर्गिक या मानव निर्मित विपदा/आपदा आए तो उससे निपटने के लिए आवश्यक संसाधन ख़रीदने के लिए पर्याप्त पूँजी राज्य सरकारों के पास होनी चाहिए।
वह पूँजी कहा से आएगी? उधोग, खेती और बीमा कम्पनी से आएगी। इसलिए उसका राष्ट्रीयकरण हो, हमेशा जनता के पास कटोरा लेकर भिक माँगने की नौबत से बचा जाएगा।
इसका प्रस्ताव बनाकर अम्बेडकर साहब ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद और पंडित नेहरु को भेजा था, पर उसपर सकारात्मक क़दम नही उठाया गया। उसकी का परिणाम है भारत देश और उनकी तिजोरी ख़ाली है और पूँजी पतियों के तिजोरी में अनगिनत पैसा है।
राज्य सरकार आज समृद्ध होती, बेरोज़गारी, ग़रीबी, भ्रष्टाचार, साम्राज्यवाद और ब्राह्मणवाद ख़त्म होता। मगर उसमें उच्च वर्ण के लोगों के बचाव में भारत में राज्य-समाजवाद का बलि देकर पुंजवाद को भारतीय संविधान के आशीर्वाद से क़ायम किया गया।
कल्याणकारी जनतंत्र का सपना पूँजीवाद के ज़रिया भारत सरकर कभी पूरा नही कर सकती। ताली बजाओ, थाली बजाओ, लाक डाउन का पालन करो, दिए जलाओ यह उपाय जब पता चलते है जब तिजोरी ख़ाली हो।
जो ग़लती इतिहास में हो चुकी है उसे अभी सुधारा जा सकता है, आगे उन्होंने कहा, इस ग़लती को सुधारा नही जाएगा तो ग़रीब जनता ग़रीबी से परेशान होकर इस लोकतांत्रिक राजकीय महल की धज्जियाँ उड़ा देगा, वह दिन भारतीय इतिहास में बहुत दुखदायी होगा, ऐसी हिदायत रजनेताओ को दी थी।
राज्य समजवाद लाओ - अमीरी हटाओ - ग़रीबी हटाओ।
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